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शिव की वाणी – विज्ञान भैरव तंत्र: एक संक्षिप्त परिचय
संस्कृत वाङ्मय के अद्वितीय ग्रंथों में से एक, “विज्ञान भैरव तंत्र” का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत करते हुए, यह पुस्तक हमें शैव दर्शन और तंत्र की गहनता से परिचित कराती है। एम.ए. की पढ़ाई के दौरान, जब लेखक ने दर्शनशास्त्र में रुचि दिखाई, तो उन्होंने विज्ञान भैरव तंत्र पर काम करने का निश्चय किया। यह ग्रंथ अब तक हिंदी अनुवाद से वंचित था, लेकिन लेखक ने अपने ज्ञान और समय की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए, इसके सटिप्पण अनुवाद का कार्य किया।
विज्ञान भैरव तंत्र का शैव दर्शन में विशेष महत्त्व है, और इसे तांत्रिक शैवमत का आधार ग्रंथ माना जाता है। इस ग्रंथ का उल्लेख अभिनवगुप्त ने भी किया है, और इसमें प्रतिपादित विषय तंत्र-साधना से संबंधित हैं। कश्मीर शैव दर्शन के तीन प्रमुख भाग हैं: आगमशास्त्र, स्पन्दशास्त्र और प्रत्यभिज्ञाशास्त्र। विज्ञान भैरव को आगमशास्त्र की श्रेणी में रखा गया है।
विज्ञान भैरव तंत्र देवी और भैरव के संवाद के रूप में प्रकट हुआ है, जिसमें शिव को रचयिता माना गया है। इसमें १६३ छंद हैं, जिनमें तंत्र-साधना के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ योग, ध्यान और आत्मज्ञान के मार्गों का विस्तृत विवेचन करता है। इसमें ११२ धारणाओं का वर्णन है, जो साधक के आत्मिक उत्थान में सहायक होती हैं।
विज्ञान भैरव तंत्र पर दो प्रमुख टीकाएँ उपलब्ध हैं: आचार्य क्षेमराज की टीका और भट्ट आनन्द की ‘विज्ञानकौमुदी-दीपिका’। क्षेमराज की टीका २४वें छंद तक ही उपलब्ध है, जबकि भट्ट आनन्द की टीका पूरी है। क्षेमराज ने अपने गुरु अभिनवगुप्त के मार्गदर्शन में इस ग्रंथ पर टीका लिखी, जो उनके पाण्डित्य का प्रमाण है। शिवोपाध्याय ने २५वें छंद से १६३वें छंद तक की टीका लिखी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने क्षेमराज के अधूरे कार्य को पूरा किया।
यह पुस्तक न केवल शैव दर्शन के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है, बल्कि उन सभी के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो तंत्र और योग में रुचि रखते हैं। विज्ञान भैरव तंत्र की गहराई को समझने के लिए इसे पढ़ना एक अनिवार्य कदम है, जो साधक को आत्मज्ञान के पथ पर अग्रसर करता है।
शिव की वाणी – विज्ञान भैरव तंत्र हिंदी पीडीऍफ़ ( The Vigyan Bhairav Tantra PDF Hindi Book) के बारे में अधिक जानकारी:-
Name of Book | शिव की वाणी – विज्ञान भैरव तंत्र | The Vigyan Bhairav Tantra PDF |
Name of Author | Shri Bapulal Anjana |
Language of Book | Hindi |
Total pages in Ebook) | 213 |
Size of Book) | 32 MB |
Category | Religious |
Source/Credits | archive.org |