‘श्रीमद भागवत महापुराण ’ PDF Quick download link is given at the bottom of this article. You can see the PDF demo, size of the PDF, page numbers, and direct download Free PDF of ‘Srimad Bhagavat Mahapuran Volume 1 & 2 Hindi PDF’ using the download button.
श्रीमद्भागवत महापुराण साक्षात् भगवान् का स्वरूप है। यही कारण है कि भक्त-भागवतगण इसे भगवद्भावना से श्रद्धापूर्वक पूजते और आराधना करते हैं। यह महाग्रंथ भगवान व्यास जैसे महापुरुषों की रचना है, जिनकी यह सृजनात्मक कृति उन्हें शांति प्रदान करती है। इसमें सकाम कर्म, निष्काम कर्म, साधनज्ञान, सिद्धज्ञान, साधनभक्ति, सिद्धभक्ति, वैधी भक्ति, प्रेमा भक्ति, मर्यादामार्ग, अनुग्रहमार्ग, द्वैत, अद्वैत और द्वैताद्वैत जैसे सभी मार्गों का परम रहस्य बड़ी मधुरता से भरा हुआ है। श्रीमद्भागवत महापुराण सारे मतभेदों से ऊपर उठा हुआ, अथवा सभी मतभेदों का समन्वय करने वाला महान ग्रंथ है।
इस ग्रंथ के प्रत्येक अंश से भगवद्भावपूर्ण पारमहंस्य ज्ञान-सुधा की धारा बह रही है। यह भगवान के मधुरतम प्रेम-रस का छलकता हुआ सागर है। इसी कारण भावुक भक्तगण इसमें सदा अवगाहन करते हैं। यह ग्रंथ ‘स्वादु-स्वादु पदे-पदे’ की अनुभूति कराता है और इसकी तुलना किसी अन्य ग्रंथ से नहीं की जा सकती। यह विद्या का भंडार है और ‘विद्या भागवतावधिः’ का प्रमाण है।
इस ग्रंथ का यथार्थ आनंद उन्हीं सौभाग्यशाली भक्तों को मिलता है, जो सच्ची लगन और श्रद्धा-भक्ति के साथ केवल ‘भगवत्प्रेम की प्राप्ति’ के लिए इसका पारायण करते हैं। श्रीमद्भागवत आशीर्वादात्मक ग्रंथ है और इसके पारायण से लौकिक एवं पारलौकिक सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। इसमें ‘नारायण कवच’, ‘पुंसवन व्रत’, ‘गजेन्द्र स्तवन’ और ‘पयो व्रत’ जैसे अनेक अमोघ प्रयोगों का उल्लेख है, जिनसे समस्त विघ्नों का नाश, आरोग्य, ऐश्वर्य, ऋण से मुक्ति, शत्रु से छुटकारा, दुर्भाग्य का नाश और मनोवांछित संतान की प्राप्ति होती है।
श्रीमद्भागवत के प्रकाशन की योजना गीताप्रेस के द्वारा लगभग चौबीस-पच्चीस वर्ष पहले से चल रही थी, लेकिन कई कारणों से इसमें देर होती रही। पाठनिर्णय के लिए पूज्यपाद गोलोकवासी श्रीमन्मध्वगौडसम्प्रदायाचार्य गोस्वामी श्रीदामोदरलालजी शास्त्री और सरकारी संस्कृत कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. श्रीगोपीनाथजी कविराज से परामर्श लिया गया। श्रीकविराजजी के परामर्श, प्रयत्न और परिश्रम से काशी के सरकारी ‘सरस्वती भवन’ पुस्तकालय में सुरक्षित प्रायः आठ सौ वर्ष पुरानी प्रति देखी गई और उससे पाठ मिलाया गया।
श्रीमद्भागवत का अनुवाद मेरे अनुरोध पर प्रिय श्रीमुनिलालजी (वर्तमान में श्रद्धेय स्वामी सनातनदेवजी) ने सं. 1989 के आषाढ़ में पूरा किया। अनुवाद का संशोधन श्रीवल्लभसम्प्रदाय के महान विद्वान गोलोकवासी श्रद्धेय देवर्षि पं. श्रीरमानाथजी भट्ट, पं. श्रीरामनारायणदत्तजी शास्त्री और भाई हरिकृष्णदासजी गोयन्दका के द्वारा करवाया गया। संवत् 1997 में अनुवादसहित पाठभेद की पाद-टिप्पणियों से युक्त संस्करण दो खंडों में प्रकाशित किया गया। यह संस्करण भावुक पाठकों द्वारा बहुत अपनाया गया। इसके बाद मूल पाठ का गुटका-संस्करण भी निकाला गया, जिसकी अब तक 1,08,250 प्रतियाँ छप चुकी हैं।
संवत् 1998 में ‘कल्याण’ का ‘भागवतांक’ प्रकाशित किया गया, जिसमें अनुवाद की शैली कुछ बदल दी गई। इस अनुवाद का अधिकांश हमारे अपने पं. श्रीशान्तनुविहारीजी द्विवेदी (वर्तमान में श्रद्धेय स्वामी श्रीअखण्डानन्दजी सरस्वती महाराज) ने किया। द्वितीय महायुद्ध के कारण कई तरह की अड़चनें आईं, जिससे ये दोनों खंड और ‘श्रीभागवतांक’ अप्राप्य हो गए। स्वामी श्रीअखण्डानन्दजी महाराज के अथक परिश्रम के कारण यह कार्य पूरा हो सका और अब यह ग्रंथ पाठकों के सामने प्रस्तुत है।
श्रीमद भागवत महापुराण ( Srimad Bhagavat Mahapuran Volume 1 & 2 Pdf ) के बारे में अधिक जानकारी:-
Name of Book | श्रीमद भागवत महापुराण | Srimad Bhagavat Mahapuran Volume 1 & 2 |
Name of Author | Gita Press |
Language of Book | Hindi |
Total pages in Ebook) | 1617 |
Size of Book) | 25 MB |
Category | Religious |
Source/Credits | archive.org |