प्यासी हंसिनी प्रियांशी जैन बुक पीडीएफ | Pyasi Hansini Priyanshi Jain PDF Hindi Book

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ज़िंदगी कई बार ऐसे अजीब मोड़ लेती है कि सच झूठ और झूठ सच लगने लगता है.. बड़े से बड़ा आस्तिक नास्तिक और बड़े से बड़ा नास्तिक आस्तिक होने को मजबूर हो जाता है.. सिर्फ़ यही क्यों, कुछ ऐसे हादसे भी जिंदगी में घट जाते है कि आख़िर तक हमें समझ नहीं आता कि वो सब कैसे हुआ, क्यों हुआ. सच कोई नहीं जान पाता.. कि आख़िर वो सब किसी प्रेतात्मा का किया धरा है, या भगवान का चमत्कार है या फिर किसी ‘अपने’ की साज़िश… हम सिर्फ़ कल्पना ही करते रहते हैं और आख़िर तक सोचते रहते हैं कि ऐसा हमारे साथ ही क्यों हुआ? किसी और के साथ क्यों नहीं.. हालात तब और बिगड़ जाते हैं जब हम वो हादसे किसी के साथ बाँट भी नहीं पाते.. क्यूंकी लोग विश्वास नहीं करेंगे.. और हमें अकेला ही निकलना पड़ता है, अपनी अंजान मंज़िल की तरफ.. मन में उठ रहे उत्सुकता के अज्ञात भंवर के पटाक्षेप की खातिर….

कुछ ऐसा ही प्रतिक के साथ कहानी में हुआ.. हमेशा अपनी मस्ती में ही मस्त रहने वाला एक करोड़पति बाप का बेटा अचानक अपने आपको गहरी असमनजस में घिरा महसूस करता है जब कोई अंजान सुंदरी उसके सपनों में आकर उसको प्यार की दुहाई देकर अपने पास बुलाती है.. और जब ये सिलसिला हर रोज़ का बन जाता है तो अपनी बिगड़ती मनोदशा की वजह से मजबूर होकर निकलना ही पड़ता है.. उसकी तलाश में.. उसके बताए आधे अधूरे रास्ते पर.. लड़की उसको आख़िरकार मिलती भी है, पर तब तक उसको अहसास हो चुका होता है कि ‘वो’ लड़की कोई और है.. और फिर से मजबूरन उसकी तलाश शुरू होती है, एक अनदेखी अंजानी लड़की के लिए.. जो ना जाने कैसी है…

इस अंजानी डगर पर चला प्रतिक जाने कितनी ही बार हताश होकर उसके सपने में आने वाली लड़की से सवाल करता है, “मैं विश्वास क्यों करूँ?” तो उसकी चाहत में तड़प रही लड़की का हमेशा एक ही जवाब होता है:

“मुर्दे कभी झूठ नहीं बोलते.”

हंसिनी प्रियांशी जैन ( Hansini Priyanshi Jain Pustak Pdf ) के बारे में अधिक जानकारी:-

Name of Bookप्यासी हंसिनी प्रियांशी जैन बुक | Pyasi Hansini Priyanshi Jain PDF
Name of AuthorPriyanshi Jain
Language of BookHindi
Total pages in Ebook)398
Size of Book)5 MB
CategoryAdult Books
Source/Creditsarchive.org

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