Ganesh Chalisa PDF: श्री गणेश चालीसा PDF डाउनलोड और महत्व
गणेश चालीसा, हिंदू धर्म में भगवान गणेश को समर्पित 40 छंदों की एक भक्ति प्रार्थना है। यह प्रार्थना न केवल आध्यात्मिक शक्ति का स्रोत है बल्कि जीवन की चुनौतियों को पार करने के लिए मार्गदर्शन भी प्रदान करती है। अगर आप Ganesh Chalisa PDF की तलाश में हैं, तो यह लेख आपकी सहायता करेगा।
गणेश चालीसा का महत्व
श्री गणेश, जिन्हें “विघ्नहर्ता” और “बुद्धि के देवता” कहा जाता है, का स्मरण करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं। गणेश चालीसा के हर छंद में उनके अद्वितीय गुणों का वर्णन किया गया है, जैसे:
- विघ्न हरण: जीवन की कठिनाइयों को समाप्त करने की शक्ति।
- मंगलकारी ऊर्जा: सकारात्मकता और खुशहाली लाने में मददगार।
- बुद्धि का वरदान: निर्णय लेने और सफलता प्राप्त करने में सहायक।
गणेश चालीसा PDF डाउनलोड करने के फायदे
Ganesh Chalisa PDF डाउनलोड करके आप इसे कभी भी, कहीं भी पढ़ सकते हैं। खासकर जब आप मानसिक शांति, ऊर्जा, और प्रेरणा की तलाश में हों।
लाभ:
- आसान एक्सेसिबिलिटी: मोबाइल या डेस्कटॉप पर पढ़ सकते हैं।
- पोर्टेबल: यात्रा के दौरान अपने साथ रखें।
- नियमित पाठ: अपनी दिनचर्या में इसे शामिल करें।
श्री गणेश चालीसा का पाठ कैसे करें?
- सुबह स्नान करके साफ मन से श्री गणेश की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठें।
- दीपक जलाएं और एकाग्रता के साथ पाठ करें।
- रोजाना पाठ करने से मानसिक शांति और गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है।
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Ganesh Chalisa Lyrics in Hindi
(नीचे दिए गए हैं श्री गणेश चालीसा के मुख्य अंश:)
श्री गणेश चालीसा
दोहा
जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
चौपाई
जय जय जय गणपति गणराजू।
मंगल भरण करण शुभः काजू॥
जै गजबदन सदन सुखदाता।
विश्व विनायका बुद्धि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजत मणि मुक्तन उर माला।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित।
चरण पादुका मुनि मन राजित॥
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता।
गौरी लालन विश्व-विख्याता॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे।
मुषक वाहन सोहत द्वारे॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी।
अति शुची पावन मंगलकारी॥
एक समय गिरिराज कुमारी।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।
तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा॥
अतिथि जानी के गौरी सुखारी।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला।
बिना गर्भ धारण यहि काला॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना।
पूजित प्रथम रूप भगवाना॥
अस कही अन्तर्धान रूप हवै।
पालना पर बालक स्वरूप हवै॥
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना।
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं।
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा।
देखन भी आये शनि राजा॥20॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।
बालक, देखन चाहत नाहीं॥
गिरिजा कछु मन भेद बढायो।
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो॥
कहत लगे शनि, मन सकुचाई।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ।
शनि सों बालक देखन कहयऊ॥
पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा।
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा॥
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी।
सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी॥
हाहाकार मच्यौ कैलाशा।
शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो।
काटी चक्र सो गज सिर लाये॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो।
प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन, भरमि भुलाई।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई।
शेष सहसमुख सके न गाई॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी।
करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥
अब प्रभु दया दीना पर कीजै।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥
दोहा
श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ती गणेश॥
आरती श्री गणेशजी की
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।
एक दन्त दयावन्त चार भुजा धारी
मस्तक सिन्दूर सोहे मूसे की सवारी।
अन्धन को आँख देत कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देते निर्धन को माया।
हार चढ़े फूल चढ़े और चढे मेवा
लड्डुवन का भोग लगे सन्त करें सेवा।
दीनन की लाज राखो शम्भु सुत वारी
कामना को पूर्ण करो जग बलिहारी।
श्री गणेश-वन्दना
वर्णानामर्थसंघानाम् रसानाम् छन्दसामपि
मंगलानाम् च कर्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ।
गजाननं भूतगणादिसेवितं
कपित्धजम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारकं
नमामि विन्धेश्वर पादपंकजम्।
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गणेश चालीसा जाप के लाभ
- बाधाओं का निवारण: हर कार्य में सफलता।
- शांति और सकारात्मकता: मानसिक संतुलन बनाए रखने में सहायक।
- भक्ति और समर्पण: भगवान गणेश के प्रति गहरा जुड़ाव।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. गणेश चालीसा क्या है?
गणेश चालीसा 40 छंदों की भक्ति प्रार्थना है, जो भगवान गणेश को समर्पित है।
2. गणेश चालीसा का पाठ कब करें?
सुबह के समय या किसी विशेष कार्य को शुरू करने से पहले गणेश चालीसा का पाठ शुभ माना जाता है।
3. क्या गणेश चालीसा पाठ से इच्छाएं पूरी होती हैं?
हां, यह माना जाता है कि नियमित पाठ से भगवान गणेश की कृपा से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।
निष्कर्ष
गणेश चालीसा का नियमित पाठ आपके जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जा सकता है। Ganesh Chalisa PDF डाउनलोड करके इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करें।
🙏 “जय गणेश देवा!”
Taglines:
- “Download Ganesh Chalisa PDF for daily blessings!”
- “Start your day with Ganesh Chalisa for success and positivity.”
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