Join us on Telegram

About Us

Agni Puran - Gita Press Gorakhpur PDF

अग्नि पुराण | Agni Puran

Published On:

Category: Religious

4.9/5 - (9 votes)

‘Agni Puran Hindi’ PDF Quick download link is given at the bottom of this article. You can see the PDF demo, size of the PDF, page numbers, and direct download Free PDF of ‘Agni Puran Hindi PDF’ using the download button.

अठारह पुराणों में से अग्निपुराण का सबसे अधिक महत्व है, क्योंकि इसमें विभिन्न विद्याओं का सुंदर समावेश है। अग्निपुराण के संदर्भ में पुराणकार का कथन है कि “आग्नेये हि पुराणेऽस्मिन सर्वा विद्याः प्रदर्शिताः” (अग्नि. ३८३। ५१), अर्थात् “इस आग्नेय (अग्नि) पुराण में सभी विद्याओं का वर्णन है।” भगवान अग्निदेव ने महर्षि वसिष्ठ को यह पुराण सुनाया था, इसीलिए इसे अग्निपुराण कहा जाता है।

पद्मपुराण में पुराणों को भगवान विष्णु का ही विग्रह बताया गया है और उनके विभिन्न अंग ही विभिन्न पुराण कहे गए हैं। इस दृष्टि से अग्निपुराण को श्रीहरि का बायां चरण कहा गया है – “अनिर्वामो ह्याग्नेयमुच्यते” (स्वर्गखण्ड ६२।४)।

अग्निपुराण में ३८३ अध्याय हैं। इसमें परा और अपरा विद्याओं का वर्णन, मत्स्य, कूर्म आदि अवतारों की कथाएं, रामायण के सातों काण्डों की संक्षिप्त कथा, हरिवंश नाम से भगवान श्रीकृष्ण के वंश का वर्णन, महाभारत के सभी पर्वों की संक्षिप्त कथा, सृष्टि-वर्णन, स्नान, संध्या-पूजा, होम-विधि, दीक्षा-विधि, अभिषेक विधि, दीक्षा के ४८ संस्कार, अधिवास-विधि, देवालय निर्माण फल, शिलान्यास-विधान, प्रासाद-लक्षण, प्रासाद-देवता स्थापना विधि, विविध देव-प्रतिमाओं के लक्षण, प्राण-प्रतिष्ठा विधि, देव-पूजा विधि, तत्त्व-दीक्षा, देवों के विभिन्न मंत्र, वास्तु-पूजा और खगोल आदि का सुंदर निरूपण किया गया है।

इसके अतिरिक्त इसमें तीर्थ-माहात्म्य, श्राद्धकल्प, ज्योतिष शास्त्र, त्रैलोक्य-विजय-विद्या, संग्राम-विजय-विद्या, महामारी-विद्या, वशीकरण आदि षट्कर्म, मंत्र, औषधि, लक्ष्यकोटि-होम विधि, सूर्य और चंद्रवंश का विस्तार, पुरुष-स्त्री के शुभाशुभ लक्षण, वेदशाखा-वर्णन, सिद्धौषधि एवं रसादि का वर्णन, विभिन्न पशुओं की चिकित्सा, बालतंत्र, ग्रह मंत्र, नरसिंह मंत्र, त्रैलोक्य-मोहन मंत्र, लक्ष्मी एवं त्वरिता पूजा और सिद्धि आदि का प्रतिपादन किया गया है। सारांश यह है कि इस पुराण में लौकिक ज्ञान और ब्रह्मज्ञान के सभी विषयों को बोधगम्य शैली में विस्तृत रूप में समझाया गया है। यह पुराण अध्येताओं एवं गवेषकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण सामग्री संजोए हुए है।

‘कल्याण’ वर्ष ४४-४५ (सन् १९७०-७१) में गर्ग संहिता और नरसिंह पुराण के साथ संयुक्त रूप में इस पुराण का गीताप्रेस द्वारा विशेषांक रूप में प्रकाशन किया गया था। पाठकों के आग्रह को स्वीकार करते हुए गर्ग संहिता और नरसिंह पुराण का अलग से पुस्तकरूप में पुनर्मुद्रण किया जा चुका है। तदनुसार अग्निपुराण का हिंदी अनुवाद भी पाठकों की सेवा में पुस्तकरूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। आशा है, पाठकगण इसे अपनाकर इसमें संगृहीत अगाध ज्ञान से भरपूर लाभ उठाएंगे।

भारतीय जीवन-संस्कृति के मूलाधार ‘वेद’ हैं। वेद भगवान के स्वाभाविक उच्छ्वास हैं, अतः वे भगवत्स्वरूप ही हैं। श्रुत ब्रह्मवाणी का संरक्षण परम्परा से ऋषियों द्वारा होता रहा, इसीलिए इसे ‘श्रुति’ कहते हैं। भगवदीय वाणी वेदों के सत्य को समझने के लिए षडंग, अर्थात् शिक्षा, कल्प, व्याकरण, छन्द, निरुक्त और ज्योतिष का अध्ययन आवश्यक था। परंतु जन-साधारण के लिए यह भी सहज संभव न होने से पुराणों का कथोपकथन आरम्भ हुआ, जिससे वैदिक सत्य रोचक ऐतिहासिक आख्यायिकाओं द्वारा जन-जन तक पहुँच सके।

शतपथ ब्राह्मण (१४।२।४। १०) में आया है कि “चारों वेद, इतिहास, पुराण- ये सब महान् परमात्मा के ही निःश्वास हैं।” अथर्ववेद (११।७।२४) में आया है – “यजुर्वेद के साथ ऋक्, साम, छन्द और पुराण उत्पन्न हुए।”

जो पुरातन आख्यान ऋषियों की स्मृतियों में सुरक्षित थे और जो वंशानुक्रम ऋषि-कण्ठों से कीर्तित थे, उन्हीं का संकलन और विभागीकरण भगवान वेदव्यास द्वारा हुआ। उन आख्यायिकाओं को व्यवस्थित करके प्रकाश में लाने का श्रेय भगवान वेदव्यास को है, इसी कारण वे पुराणों के प्रणेता कहलाए; अन्यथा पुराण भी वेदों की भांति ही अनादि, अपौरुषेय एवं प्रामाणिक हैं।

भगवान वेदव्यास द्वारा प्रणीत अठारह महापुराणों में अग्निपुराण का एक विशेष स्थान है। विष्णुस्वरूप भगवान अग्निदेव द्वारा महर्षि वसिष्ठजी के प्रति उपदिष्ट यह अग्निपुराण ब्रह्मस्वरूप है, सर्वोत्कृष्ट है तथा वेद तुल्य है। देवताओं के लिए सुखद और विद्याओं का सार है। इस दिव्य पुराण के पठन-श्रवण से भोग-मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पुराणों के पाँच लक्षण बताए गए हैं – १. सृष्टि-उत्पत्ति-वर्णन, २. सृष्टि-विलय-वर्णन, ३. वंश-परम्परा-वर्णन, ४. मन्वन्तर-वर्णन और ५. विशिष्ट व्यक्ति-चरित्र-वर्णन। पुराण के पाँचों लक्षण अग्निपुराण में घटित होते ही हैं, इनके अतिरिक्त वर्ण्य-विषय इतने विस्तृत हैं कि अग्निपुराण को ‘विश्वकोष’ कहा जाता है। मानव के लौकिक, पारलौकिक और पारमार्थिक हित के लगभग सभी विषयों का वर्णन अग्निपुराण में मिलता है।

प्राचीनकाल में न तो मुद्रण की प्रथा थी और न ग्रंथ ही सहज सुलभ होते थे। ऐसी परिस्थितियों में विविध विषयों के महत्वपूर्ण विवेचन का एक ही स्थान पर एक साथ मिल जाना, यह एक बहुत बड़ी बात थी। इसी कारण अग्निपुराण बहुत जनप्रिय और विद्वद्वर्ग-समादृत रहा।

सम्पूर्ण सृष्टि के कारण भगवान विष्णु हैं, अतः अग्निपुराण में भगवान के विविध अवतारों का संक्षिप्त वर्णन किया गया है। भगवान विष्णु ने मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, श्रीराम, श्रीकृष्ण और बुद्ध के रूप में अवतार लिए हैं।

अग्नि पुराण बुक ( Agni PuranHindi Pdf ) के बारे में अधिक जानकारी:-

Name of Bookअग्नि पुराण / Agni Puran
Name of AuthorGita Press Gorakhpur
Language of BookHindi
Total pages in Ebook)878
Size of Book)2 GB
CategoryReligious
Source/Creditsarchive.org

नीचे दिए गए लिंक के द्वारा आप अग्नि पुराण (Agni Puran Pdf ) पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं ।

Also check these...

Namal Novel PDF

Namal Novel PDF – A Complete Review and Guide

Bhavishya Purana PDF

Bhavishya Purana PDF

Quran PDF in English

Quran PDF in English

Quran in Hindi in PDF

Quran in Hindi in PDF

Leave a Comment