Bhagavad Gita Yatharoop Hindi PDF | श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप PDF

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[PDF] श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप PDF | Bhagavad Gita Yatharoop Hindi PDF

भगवद गीता: भारत की आध्यात्मिक धरोहर

श्रीमद्भगवद्गीता को भारतीय संस्कृति और धर्म में एक अद्वितीय स्थान प्राप्त है। यह पुस्तक केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला, कर्मयोग और भक्ति का अनमोल मार्गदर्शन प्रदान करती है। दुनिया भर में यह पुस्तक लाखों लोगों के जीवन को छू चुकी है, और इसका सबसे प्रामाणिक संस्करण “श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप” है, जिसे इस्कॉन (ISKCON) के संस्थापक अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने अनुवाद और समीक्षा किया है।

श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप का महत्त्व

श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप केवल एक किताब नहीं, बल्कि एक जीवन जीने की संपूर्ण गाइड है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का विस्तृत वर्णन किया गया है, जिसमें कर्म, भक्ति, और ज्ञान योग के महत्व को बताया गया है। इसके 700 श्लोकों में जीवन की कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करने के लिए जरूरी सभी आध्यात्मिक मार्गदर्शन शामिल हैं। यह गीता का वह संस्करण है जिसे इस्कॉन द्वारा प्रचारित किया गया और इसे दुनिया की कई भाषाओं में अनूदित किया जा चुका है।

यह ग्रंथ केवल भारतीय संस्कृति तक सीमित नहीं है; इसे दुनियाभर में आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में अपनाया जाता है। इसकी सरल भाषा और विशिष्ट टिप्पणी इसे हर आयु वर्ग के लिए समझने योग्य बनाती है। अगर आप जीवन के सच्चे अर्थ की खोज में हैं, तो “भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद” द्वारा अनूदित और व्याख्यायित श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप PDF आपके लिए एक आदर्श स्त्रोत हो सकता है।

श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप की विशेषताएं

श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप को खास बनाने वाली कुछ विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  1. देवनागरी में श्लोक: पुस्तक में मूल संस्कृत श्लोक देवनागरी में दिए गए हैं ताकि पाठक सीधे भगवान के शब्दों को समझ सकें।
  2. रोमन लिप्यंतरण: जो लोग संस्कृत पढ़ना नहीं जानते, उनके लिए श्लोकों का रोमन लिप्यंतरण दिया गया है, जिससे उच्चारण सही हो सके।
  3. शब्द-दर-शब्द अर्थ: संस्कृत श्लोकों के शब्द-दर-शब्द अर्थ दिए गए हैं, ताकि पाठक श्लोक के प्रत्येक शब्द का सही अर्थ समझ सकें।
  4. विस्तृत टिप्पणी: प्रभुपाद जी ने श्लोकों की विस्तृत व्याख्या की है, जो गौड़ीय वैष्णव परंपरा और दूसरे प्राचीन वैदिक ग्रंथों पर आधारित है।
  5. आधुनिक जीवन के लिए मार्गदर्शन: यह गीता का संस्करण न केवल आध्यात्मिक रूप से प्रासंगिक है, बल्कि आधुनिक जीवन में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए भी उपयोगी है।

ISKCON और भगवद गीता

इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (ISKCON) के संस्थापक, अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद, ने भगवद गीता का अंग्रेजी में अनुवाद और विस्तृत व्याख्या की, जिसे Bhagavad Gita As It Is के नाम से जाना जाता है। यह गीता का सबसे प्रसिद्ध और प्रामाणिक संस्करण है, जिसे दुनियाभर में लाखों लोग पढ़ते हैं और इसे अपने जीवन में लागू करते हैं।

गीता की शिक्षा का केंद्र बिंदु भगवान कृष्ण की भक्ति है। यह पुस्तक न केवल हमें धर्म और अध्यात्म के बारे में सिखाती है, बल्कि जीवन में कर्मयोग, ज्ञानयोग, और भक्ति के महत्व को भी समझाती है। प्रभुपाद जी की गीता की व्याख्या गौड़ीय वैष्णव परंपरा पर आधारित है, जो यह सिखाती है कि कैसे भक्ति योग के माध्यम से आत्मा को मुक्ति मिल सकती है और जीवन में शांति पाई जा सकती है।

श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप के लाभ

  1. आध्यात्मिक जागरूकता: गीता का पाठ करने से आपके अंदर आत्म-साक्षात्कार की भावना जागृत होती है और आप अपने जीवन के उद्देश्य को समझ सकते हैं।
  2. मानसिक शांति: गीता के श्लोक मानसिक शांति प्रदान करते हैं और जीवन के संघर्षों से निपटने की शक्ति देते हैं।
  3. भक्ति योग का मार्ग: गीता भक्ति योग पर विशेष जोर देती है, जो भगवान के प्रति समर्पण का मार्ग है।
  4. मृत्यु और पुनर्जन्म से मुक्ति: श्रीमद्भगवद्गीता हमें सिखाती है कि कैसे भगवान कृष्ण की भक्ति से हम पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो सकते हैं।

श्रीमद्भगवद्गीता की कथा

भगवद गीता का संवाद महाभारत के युद्धक्षेत्र कुरुक्षेत्र में हुआ था, जब अर्जुन युद्ध करने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं थे। उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें आत्मा, कर्म, और धर्म के विषय में ज्ञान दिया। उन्होंने अर्जुन को बताया कि कैसे अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और अपने कर्मों का फल भगवान को अर्पित करना चाहिए। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपना विराट रूप भी दिखाया, जो इस बात का प्रतीक है कि भगवान ही सृष्टि के कर्ता, धर्ता और संहारक हैं।

ISKCON Gita PDF in Hindi

ISKCON द्वारा प्रचारित भगवद गीता का यह संस्करण विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो हिंदी में गीता का अध्ययन करना चाहते हैं। प्रभुपाद जी की विस्तृत व्याख्या इसे समझने और जीवन में लागू करने के लिए अत्यंत सरल बनाती है। आप यहाँ से ISKCON Gita PDF in Hindi डाउनलोड कर सकते हैं और अपने जीवन में भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।

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श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप: श्रीकृष्ण का दिव्य उपदेश

यद्यपि भगवद्गीता का व्यापक प्रकाशन और पठन होता रहा है, किन्तु मूलतः यह संस्कृत महाकाव्य महाभारत की एक उपकथा के रूप में प्राप्त है। महाभारत में वर्तमान कलियुग तक की घटनाओं का विवरण मिलता है। इसी युग के प्रारम्भ में, आज से लगभग 5,000 वर्ष पूर्व, भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मित्र और भक्त अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश दिया था। उनकी यह वार्ता, जो मानव इतिहास की सबसे महान दार्शनिक तथा धार्मिक वार्ताओं में से एक है, उस महायुद्ध के शुभारम्भ के पूर्व हुई, जो धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों और उनके चचेरे भाई पाण्डवों के बीच होने वाला भ्रातृघातक संघर्ष था।

धृतराष्ट्र तथा पाण्डु भाई-भाई थे, जिनका जन्म कुरुवंश में हुआ था और वे राजा भरत के वंशज थे, जिनके नाम पर ही महाभारत नाम पड़ा। चूंकि बड़ा भाई धृतराष्ट्र जन्म से अंधा था, अतः राजसिंहासन उसे न मिलकर छोटे भाई पाण्डु को मिला। तथापि, धृतराष्ट्र के पुत्र, विशेषतः सबसे बड़ा पुत्र दुर्योधन, पाण्डवों से द्वेष और ईर्ष्या करता था। अंधा और दुर्बल हृदय धृतराष्ट्र पाण्डुपुत्रों के स्थान पर अपने पुत्रों को राज्य का उत्तराधिकारी बनाना चाहता था। इस प्रकार, धृतराष्ट्र की सहमति से दुर्योधन ने पाण्डु के युवा पुत्रों की हत्या का षड्यंत्र रचा।

पाँचों पाण्डव अपने चाचा विदुर तथा अपने ममेरे भाई भगवान श्रीकृष्ण के संरक्षण में रहने के कारण अनेक प्राणघातक आक्रमणों के बाद भी अपने प्राणों को सुरक्षित रख पाए। भगवान श्रीकृष्ण कोई सामान्य व्यक्ति नहीं, अपितु ईश्वर थे जिन्होंने इस धराधाम में अवतार लिया था और अब एक समकालीन राजकुमार होने का अभिनय कर रहे थे। वे पाण्डु की पत्नी कुन्ती (पाण्डवों की माता) के भतीजे थे। इस प्रकार, सम्बन्धी होने के नाते और धर्म के शाश्वत पालक होने के कारण, वे धर्मपरायण पाण्डुपुत्रों का पक्ष लेते रहे और उनकी रक्षा करते रहे।

किन्तु अन्ततः चतुर दुर्योधन ने पाण्डवों को जुआ खेलने के लिए ललकारा। उस निर्णायक स्पर्धा में दुर्योधन और उसके भाइयों ने पाण्डवों की सती पत्नी द्रौपदी पर अधिकार प्राप्त किया और फिर उसे राजाओं तथा राजकुमारों की सभा के मध्य निर्वस्त्र करने का प्रयास किया। कृष्ण के दिव्य हस्तक्षेप से उसकी रक्षा हो सकी। उस यूतक्रीड़ा (जुए) में छल के प्रयोग के कारण पाण्डव हार गए और उन्हें अपने राज्य से वंचित होकर तेरह वर्ष तक वनवास जाना पड़ा।

वनवास से लौटने के बाद, पाण्डवों ने धर्मसम्मत रूप से दुर्योधन से अपना राज्य मांगा, किन्तु उसने देने से इनकार कर दिया। क्षत्रियों के शास्त्र-नियमित कर्तव्य को पूर्ण करने के लिए, पाँचों पाण्डवों ने अन्ततः अपना पूरा राज्य न मांगकर केवल पाँच गाँवों की मांग रखी, किन्तु दुर्योधन सुई की नोक भर भी भूमि देने के लिए सहमत नहीं हुआ। अब पाण्डवों के लिए युद्ध करना अवश्यम्भावी हो गया।

विश्वभर के राजकुमारों में से कुछ धृतराष्ट्र के पुत्रों के पक्ष में थे, तो कुछ पाण्डवों के पक्ष में। उस समय, श्रीकृष्ण स्वयं पाण्डवों के संदेशवाहक बनकर शांति का सन्देश लेकर धृतराष्ट्र की राजसभा में गए। जब उनकी याचना अस्वीकृत हो गई, तो युद्ध निश्चित था।

पाँचों पाण्डवों ने श्रीकृष्ण को पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान के रूप में स्वीकार कर लिया था, किन्तु धृतराष्ट्र के पुत्र उन्हें नहीं समझ सके। तथापि, कृष्ण ने विपक्षियों की इच्छानुसार ही युद्ध में सम्मिलित होने का प्रस्ताव रखा। वे युद्ध नहीं करना चाहते थे, किन्तु जो भी उनकी सेना का उपयोग करना चाहे, कर सकता था। प्रतिबन्ध यह था कि एक ओर कृष्ण की सम्पूर्ण सेना होगी, तथा दूसरी ओर वे स्वयं – एक परामर्शदाता और सहायक के रूप में उपस्थित रहेंगे।

राजनीति के कुशल दुर्योधन ने आतुरता से कृष्ण की सेना चुनी, जबकि पाण्डवों ने कृष्ण को उतनी ही आतुरता से ग्रहण किया। इस प्रकार, श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी बने और उन्होंने उस सुप्रसिद्ध धनुर्धर का रथ हाँकना स्वीकार किया। इस तरह हम उस बिन्दु तक पहुँचते हैं, जहाँ से भगवद्गीता का शुभारम्भ होता है।

दोनों ओर से सेनाएँ युद्ध के लिए तैयार खड़ी हैं, और धृतराष्ट्र अपने सचिव संजय से पूछ रहे हैं कि उन सेनाओं ने क्या किया? इस तरह सारी पृष्ठभूमि तैयार है।

यह अनुवाद और इसी के साथ संलग्न भाष्य पाठक को कृष्ण की ओर निर्देशित करता है, उनसे दूर नहीं ले जाता। भगवद्गीता अपने मूल रूप में कृष्ण के उपदेशों को प्रस्तुत करती है, जो इस महान शास्त्र का यथार्थ रूप है।

श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप PDF कैसे डाउनलोड करें?

यदि आप bhagavad gita yatharoop hindi pdf या ISKCON Gita PDF in Hindi की तलाश कर रहे हैं, तो आप इसे आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं। यहां से आप श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप का डिजिटल संस्करण प्राप्त कर सकते हैं, जो आपको हर समय आपके साथ आध्यात्मिक मार्गदर्शन देने के लिए उपयुक्त है।

श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप PDF डाउनलोड करें

आप नीचे दिए गए लिंक से मुफ्त में श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप PDF डाउनलोड कर सकते हैं:

PDF का नामश्रीमद्भगवद्गीता यथारूप
पृष्ठ संख्या772 पृष्ठ
PDF का साइज14 MB
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निष्कर्ष

श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शन है। इसके माध्यम से आप न केवल आत्म-साक्षात्कार कर सकते हैं, बल्कि जीवन के हर पहलू में संतुलन और शांति भी पा सकते हैं। प्रभुपाद जी द्वारा अनुवादित यह गीता संस्करण आध्यात्मिक जागरूकता और भक्ति का सशक्त स्त्रोत है। अगर आप अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाना चाहते हैं, तो श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप PDF को जरूर पढ़ें और उसका पालन करें।


FAQs

Q1: भगवद गीता यथारूप का क्या महत्व है?
A1: भगवद गीता यथारूप भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संकलन है, जो जीवन जीने का एक संपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करता है।

Q2: श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप PDF कहां से डाउनलोड कर सकते हैं?
A2: आप इस पोस्ट में दिए गए लिंक से श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप PDF को आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।

Q3: क्या ISKCON Gita PDF in Hindi में उपलब्ध है?
A3: हां, आप ISKCON द्वारा प्रकाशित भगवद गीता का हिंदी PDF इस पोस्ट में दिए गए लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं।ओं का समाधान कर रहे हैं।

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