श्यामाकाली महाविद्या हिंदी पुस्तक PDF | Shyamakali Mahavidya PDF Hindi Book

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श्यामाकाली महाविद्या एक हिंदी पुस्तक है जो देवी काली के विभिन्न स्वरूपों और उनके महत्व को विस्तृत रूप से प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक में देवी काली की महत्ता, उनके विभिन्न उपभेद, प्रादुर्भाव और साधना के विषय में विस्तार से जानकारी दी गई है। पुस्तक में उल्लेखित मुख्य बिंदुओं को संक्षेप में यहाँ प्रस्तुत किया गया है:

देवी काली के उपभेद

भगवती काली के कई उपभेद हैं, जिनमें आठ मुख्य हैं:

  1. चिन्तामणि काली
  2. स्पर्शमणि काली
  3. सन्ततिप्रदा काली
  4. सिद्धिदा काली
  5. दक्षिणाकाली
  6. कामकला काली
  7. हंस काली
  8. गुह्य काली

इनमें दक्षिणा काली प्रमुख मानी गई हैं, जो आदि शक्ति स्वरूपा हैं।

देवी काली का स्वरूप

देवी काली का स्वरूप अत्यंत भयानक और विराट है। उनका रंग काला है, उनके तीन नेत्र सूर्य, चन्द्र और अग्नि हैं, और वे तीनों कालों को देख सकती हैं। उनके बिखरे बाल, बाहर निकले दाँत और उन्नत स्तन उनके भयानक और पालनकर्ता स्वरूप का प्रतीक हैं।

प्रादुर्भाव की कथा

पुस्तक में देवी काली के प्रादुर्भाव की कई कथाएँ दी गई हैं। एक प्रमुख कथा में, जब भगवान विष्णु शेषनाग पर योगनिद्रा में थे, मधु और कैटभ नामक राक्षसों ने ब्रह्मा जी पर आक्रमण किया। ब्रह्मा जी की प्रार्थना पर भगवान विष्णु के तेज से देवी काली प्रकट हुईं और राक्षसों का संहार किया।

महात्म्य

दुर्गा सप्तशती के आठवें अध्याय में वर्णित है कि रक्तबीज का वध करते समय देवी चण्डिका के ललाट से देवी काली का प्रादुर्भाव हुआ। उन्होंने रक्तबीज का रक्त पीकर उसका अंत किया।

स्वरूप का वर्णन

विश्वसार तंत्र में देवी काली का स्वरूप इस प्रकार वर्णित है: वे चार भुजाओं वाली, कृष्णवर्णा, मुण्डमाला से विभूषित हैं। उनके दाहिने हाथ में खड़ग और नीलकमल तथा बायें हाथ में कतरनी और खप्पर है। उनके सिर पर दो जराएँ, कण्ठ में मुण्डमाला और बक्षस्थल पर नागहार है। वे भयंकर रूप वाली हैं लेकिन भक्तों के भय का नाश करती हैं।

साधना का महत्व

देवी काली की साधना से साधक की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और वांछित फल प्राप्त होता है। स्वयं गुरु गोरखनाथ ने भी काली साधना की महत्ता बताई है। काली साधना से व्यक्ति रोगमुक्त होकर बली और सक्षम बनता है। शत्रुओं पर विजय, मुकदमों में सफलता, और चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति इसी साधना से संभव है।

श्मशान वासिनी का अर्थ

पुस्तक में भगवती काली को श्मशान वासिनी कहा गया है, जिसका तात्पर्य यह है कि व्यक्ति पंचभूतों से बना है और श्मशान में पंचतत्व ब्रह्म में विलीन हो जाते हैं। भगवती आद्यकाली ब्रह्मस्वरूपा हैं, और इस प्रकार उनका निवास श्मशान कहा गया है।

श्यामाकाली महाविद्या पुस्तक देवी काली के विभिन्न पहलुओं को जानने और समझने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जो साधकों और भक्तों के लिए अत्यंत उपयोगी है।

श्यामाकाली महाविद्या हिंदी पीडीऍफ़ ( Shyamakali Mahavidya PDF Hindi Book) के बारे में अधिक जानकारी:-

Name of Bookश्यामाकाली महाविद्या हिंदी पुस्तक PDF | Shyamakali Mahavidya PDF Hindi Book
Name of AuthorGoswami Prahad Giri
Language of BookHindi
Total pages in Ebook)10
Size of Book)12 MB
CategoryReligious
Source/Creditsarchive.org

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