काली चालीसा: महिमा, महत्व, और अद्भुत लाभ
काली चालीसा, माँ काली की स्तुति में लिखा गया एक शक्तिशाली भक्ति गीत है। काली चालीसा सरल हिन्दी अनुवाद, श्री काली पूजन यंत्र व पूजन विधि, श्री काली स्तोत्रम्, श्री काली स्तवन, श्री काली कवचम्, संकटमोचन काली अष्टक व आरती सहित है। यह 40 छंदों में माँ काली की महिमा, उनकी शक्ति, और उनके भक्तों पर कृपा का वर्णन करता है। काली चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति अपने जीवन के सभी कष्टों और बाधाओं को दूर कर सकता है। यह पाठ भक्तों के भीतर आत्मविश्वास, साहस, और शांति का संचार करता है।
श्री काली पूजन यंत्र
श्री काली पूजन यंत्र ‘पूजन यंत्र’ की निर्माण विधि इस प्रकार कही गई है- पहले बिन्दु ॐ, उसके बाद निज बिन्दु क्रीं, फिर गुञ्जनेश्वरी बीज हीं लिखकर उसके बाहर एक त्रिकोण अंकित करें। तत्पश्चात् उस त्रिकोण के बाहर क्रमशः चार अन्य त्रिकोण बनाकर एक वृत्त, फिर अष्टदल पद्म तथा पुनर्वार वृत्त अंकित करें। उसके बाहर यहां दिए गए चित्र की भांति चतुर्द्धार अंकित करके यन्त्र को पूर्ण रूप दे देना चाहिए।
श्री काली पूजन विधि
- प्रातःकाल की तैयारी
- नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- सामग्री तैयार करें
- काली माता का चित्र या पूजन यंत्र (ताम्रपत्र पर खुदा हुआ या भोजपत्र पर हल्दी से बना)।
- पूजन सामग्री:
- शुद्ध घी का दीपक
- अगरबत्ती
- चावल
- पुष्प
- सिंदूर
- नारियल
- मंत्र जप
पूजन सामग्री अर्पित करने के पश्चात निम्न मंत्र का जप करें:ॐ ऐं क्रीं क्रीं कालिकायै स्वाहा। - काली चालीसा का पाठ करें
- काली माता का ध्यान करते हुए काली चालीसा का पाठ करें।
- मनोकामना पूर्ण होने का विश्वास
महाकाली निश्चित ही आपकी मनोकामना पूर्ण कर आपको सफलता प्रदान करेंगी।
ध्यान मंत्र
शवारूढ़ां महाभीमां घोरदंष्ट्रां हसन्मुखीम्।
चतुर्भुजां खंगमुण्डवराभयकरां शिवाम्।
मुण्डमालाधरां देवीं ललज्जिहां दिगम्बराम्।
एवं सञ्चिन्तयेत्कालीं श्मशानालय वासिनीम्।।
काली चालीसा Lyrics | Kali Chalisa Lyrics
॥ दोहा ॥
जय काली कलिमलहरण,
महिमा अगम अपार।
महिष मर्दिनी कालिका,
देहु अभय अपार॥
॥ चौपाई ॥
अरि मद मान मिटावन हारी।
मुण्डमाल गल सोहत प्यारी॥
अष्टभुजी सुखदायक माता।
दुष्टदलन जग में विख्याता॥
भाल विशाल मुकुट छवि छाजै।
कर में शीश शत्रु का साजै॥
दूजे हाथ लिए मधु प्याला।
हाथ तीसरे सोहत भाला॥4॥
चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे।
छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे॥
सप्तम कर दमकत असि प्यारी।
शोभा अद्भुत मात तुम्हारी॥
अष्टम कर भक्तन वर दाता।
जग मनहरण रूप ये माता॥
भक्तन में अनुरक्त भवानी।
निशदिन रटें ऋषि-मुनि ज्ञानी॥8॥
महाशक्ति अति प्रबल पुनीता।
तू ही काली तू ही सीता॥
पतित तारिणी हे जग पालक।
कल्याणी पापी कुल घालक॥
शेष सुरेश न पावत पारा।
गौरी रूप धर्यो इक बारा॥
तुम समान दाता नहिं दूजा।
विधिवत करें भक्तजन पूजा॥12॥
रूप भयंकर जब तुम धारा।
दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा॥
नाम अनेकन मात तुम्हारे।
भक्तजनों के संकट टारे॥
कलि के कष्ट कलेशन हरनी।
भव भय मोचन मंगल करनी॥
महिमा अगम वेद यश गावैं।
नारद शारद पार न पावैं॥16॥
भू पर भार बढ्यौ जब भारी।
तब तब तुम प्रकटीं महतारी॥
आदि अनादि अभय वरदाता।
विश्वविदित भव संकट त्राता॥
कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा।
उसको सदा अभय वर दीन्हा॥
ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा।
काल रूप लखि तुमरो भेषा॥20॥
कलुआ भैंरों संग तुम्हारे।
अरि हित रूप भयानक धारे॥
सेवक लांगुर रहत अगारी।
चौसठ जोगन आज्ञाकारी॥
त्रेता में रघुवर हित आई।
दशकंधर की सैन नसाई॥
खेला रण का खेल निराला।
भरा मांस-मज्जा से प्याला॥24॥
रौद्र रूप लखि दानव भागे।
कियौ गवन भवन निज त्यागे॥
तब ऐसौ तामस चढ़ आयो।
स्वजन विजन को भेद भुलायो॥
ये बालक लखि शंकर आए।
राह रोक चरनन में धाए॥
तब मुख जीभ निकर जो आई।
यही रूप प्रचलित है माई॥28॥
बाढ्यो महिषासुर मद भारी।
पीड़ित किए सकल नर-नारी॥
करूण पुकार सुनी भक्तन की।
पीर मिटावन हित जन-जन की॥15॥
तब प्रगटी निज सैन समेता।
नाम पड़ा मां महिष विजेता॥
शुंभ निशुंभ हने छन माहीं।
तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं॥32॥
मान मथनहारी खल दल के।
सदा सहायक भक्त विकल के॥
दीन विहीन करैं नित सेवा।
पावैं मनवांछित फल मेवा॥17॥
संकट में जो सुमिरन करहीं।
उनके कष्ट मातु तुम हरहीं॥
प्रेम सहित जो कीरति गावैं।
भव बन्धन सों मुक्ती पावैं॥36॥
काली चालीसा जो पढ़हीं।
स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं॥
दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा।
केहि कारण मां कियौ विलम्बा॥
करहु मातु भक्तन रखवाली।
जयति जयति काली कंकाली॥
सेवक दीन अनाथ अनारी।
भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी॥40॥
॥ दोहा ॥
प्रेम सहित जो करे,
काली चालीसा पाठ।
तिनकी पूरन कामना,
होय सकल जग ठाठ॥
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माँ काली की महिमा
माँ काली को समय और परिवर्तन की देवी के रूप में पूजा जाता है। वह भक्तों के दुख हरती हैं और उनके शत्रुओं का नाश करती हैं। काली चालीसा में माँ काली के विभिन्न रूपों और उनकी शक्तियों का वर्णन किया गया है।
“जय काली जगदम्ब जय, हरनि ओघ अघ पुंज।
वास करहु निज दास के, निशदिन हृदय निकुंज॥”
यह दोहा माँ काली की असीम करुणा और उनके भक्तों के प्रति अपार प्रेम का वर्णन करता है।
काली चालीसा पाठ के लाभ
- भय और चिंता से मुक्ति:
काली चालीसा का नियमित पाठ भक्तों के भीतर से भय और चिंता को दूर करता है। - आत्मशक्ति का विकास:
माँ काली के आशीर्वाद से व्यक्ति में साहस और आत्मशक्ति का संचार होता है। - संकटों का समाधान:
जीवन में आने वाली बाधाओं और संकटों से मुक्ति पाने के लिए काली चालीसा का पाठ अत्यंत प्रभावी है। - आध्यात्मिक शांति:
यह पाठ मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी प्रसिद्ध है।
काली चालीसा PDF | kali chalisa pdf
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कैसे करें काली चालीसा का पाठ?
- शुद्ध मन और शरीर:
पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। - पूजा स्थान तैयार करें:
माँ काली की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं और फूल अर्पित करें। - भावनापूर्ण पाठ:
पूरे मनोभाव से काली चालीसा का पाठ करें। - नियमितता बनाए रखें:
यदि संभव हो, तो प्रतिदिन काली चालीसा का पाठ करें।
निष्कर्ष
काली चालीसा माँ काली के प्रति भक्ति और श्रद्धा व्यक्त करने का अद्भुत माध्यम है। इसका नियमित पाठ न केवल भक्तों को मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि उन्हें जीवन की सभी चुनौतियों से लड़ने की शक्ति भी देता है।
यदि आप भी माँ काली की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज ही काली चालीसा का पाठ शुरू करें।
“जय माँ काली!”
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