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शास्त्रों का दृष्टिकोण
शास्त्रों में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि सभी देवी-देवता ईश्वर के तेज से निर्मित हैं। इस प्रकार, उनमें ईश्वरीय तत्वों का अंश विद्यमान है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश—ये ईश्वर के तीन साकार रूप हैं, जो क्रमशः उत्पत्ति, पालन-धारण, और संहार का कार्य करते हैं। हालांकि, ये ईश्वर के एकांगी रूप हैं। परब्रह्म का सर्वशक्तिमान स्वरूप भगवती काली के रूप में ही प्रतिष्ठित है।
काली के विविध स्वरूप
मातेश्वरी काली के समान ही भगवती दुर्गा, भगवान राम, महावीर हनुमान, भगवान भैरवदेव और भगवान कृष्ण आदि भी ईश्वर के विभिन्न अवतार हैं। ये सभी अवतार महान हैं और समान रूप से पूजनीय हैं।
मां काली में कुछ विशेष अद्भुत गुण हैं। उनके एक-दो नहीं, बल्कि दर्जनों स्वरूप हैं। इनमें से कुछ स्वरूप एक-दूसरे के पूरक हैं, तो कुछ पूर्णतः स्वतंत्र हैं।
- रक्तबीज वध के लिए काली के रूप में प्रकट होती हैं।
- चंड-मुंड के विनाश के लिए चामुंडा का रूप धारण करती हैं।
- भगवान शिव के महाकाल रूप के साथ, वे महाकाली का अवतार लेती हैं।
- अधिकांश समय वे शिव की शक्ति के रूप में पार्वती बनकर उनके साथ रहती हैं।
- दस महाविद्या और नौ दुर्गाओं में भी मातेश्वरी काली का ही रूप है।
आदिशक्ति की त्रिमूर्ति
त्रिमूर्ति रूप में काली, दुर्गा और अंबिका, आदिशक्ति की त्रिमूर्ति हैं।
- अंबिका उनका सौम्य रूप है।
- सिंहवाहिनी दुर्गा तेज और शक्ति से भरपूर असुर संहारक रूप है।
- काली स्वरूप काल को नियंत्रित करने वाला रौद्र एवं विकराल रूप है।
काली स्वरूप की पूजा और महत्व
सामान्यतया भक्तों द्वारा काली स्वरूप की पूजा, आराधना और उपासना की जाती है। दुर्गा सप्तशती के चौथे अध्याय में काली-अवतरण और उनके कृत्यों की कथा का वर्णन है। एक सच्चा भक्त भगवान विष्णु और भगवान शिव के बीच कोई भेदभाव नहीं करता, उसी प्रकार उसे काली, दुर्गा और अंबिका के बीच भी कोई अंतर प्रतीत नहीं होता।
काली और दुर्गा: सौम्यता और प्रचंडता का संतुलन
- भगवती दुर्गा का प्रचंड और तीव्र क्रियाशील रूप काली है।
- काली का सौम्य और शांत स्वरूप दुर्गा है।
भक्त की आस्था
एक आस्थावान भक्त के लिए इन विश्लेषणों में गहराई तक जाने की आवश्यकता नहीं है। जिस प्रकार एक कुशल गृहिणी अपने पति को सर्वस्व मानकर समर्पण करती है और परिवार के अन्य सदस्यों का सम्मान करती है, उसी प्रकार हमें भी मातेश्वरी काली को माता-पिता, गुरु, रक्षक, और सर्वस्व मानते हुए उनकी उपासना करनी चाहिए। साथ ही, अन्य देवताओं के प्रति श्रद्धा और आस्था बनाए रखना चाहिए।
काली उपासना हिंदी पीडीऍफ़ ( Kali Upasana PDF Hindi Book) के बारे में अधिक जानकारी:-
Name of Book | काली उपासना | Kali Upasana PDF |
Name of Author | K. K. Aggarwal |
Language of Book | Hindi |
Total pages in Ebook) | 160 |
Size of Book) | 38 MB |
Category | Religious |
Source/Credits | archive.org |
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